मुंबई, 7 जुलाई। विक्रांत मैसी और शनाया कपूर की नई फिल्म 'आंखों की गुस्ताखियां' की लेखिका और निर्माता मानसी बागला का मानना है कि इस फिल्म में संवादों से ज्यादा गाने भावनाओं को व्यक्त करते हैं।
फिल्म का शीर्षक गीत 'आंखों की गुस्ताखियां', 'नजारा', और हाल ही में जारी किया गया गाना 'अलविदा' दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। ये सभी गाने गहरी भावनाओं से भरे हुए हैं।
मानसी बागला ने कहा, “फिल्म 'आंखों की गुस्ताखियां' का संगीत इसकी आत्मा है। अब तक रिलीज हुए गाने प्यार, इंतजार, और दर्द जैसी भावनाओं को दर्शाते हैं, जिनसे फिल्म के पात्र गुजरते हैं। मुझे संगीत का अच्छा अनुभव है, इसलिए मैं मानती हूं कि गाने संवादों से अधिक भावनाएं व्यक्त करते हैं। इस संगीत को तैयार करने में मुझे एक साल लगा।”
उन्होंने आगे कहा, '' 'आंखों की गुस्ताखियां' एक ऐसी प्रेम कहानी है जो दिल को सुकून देती है। इसलिए इसकी कहानी के अनुसार संगीत का होना बेहद जरूरी था। मेरे लिए संगीत कभी भी बाद में सोचने वाली चीज नहीं है, बल्कि यह फिल्म की भावना को मजबूत करने वाला एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मैंने हर गाने को कहानी के अनुसार ढाला है, ताकि दर्शक पात्रों की भावनाओं को गहराई से महसूस कर सकें। मुझे संगीत से बहुत लगाव है, इसलिए मेरा ध्यान हमेशा इस पर रहता है। कभी-कभी मैं अपने दिल की बात संगीत के माध्यम से ही व्यक्त करती हूं।''
फिल्म 'आंखों की गुस्ताखियां' को जी स्टूडियोज और मिनी फिल्म्स द्वारा प्रस्तुत किया गया है। इसे मानसी बागला, वरुण बागला और ओपन विंडो फिल्म्स ने मिलकर बनाया है। फिल्म की कहानी भी मानसी बागला ने लिखी है। इसके निर्देशक संतोष सिंह हैं, और संगीत विशाल मिश्रा ने तैयार किया है।
यह फिल्म 11 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है।
You may also like
महाराष्ट्र में मराठी बनाम हिंदी भाषा के विवाद ने हिंसक रूप कैसे ले लिया?
8 जुलाई को इन राशियों के प्रेम संबंधों में आएगा स्थायित्व, वीडियो राशिफाल में देखे किन्हें मिल सकता है जीवनसाथी समर्थन
प्रेमानंद जी महाराज का प्रवचन: चिंता और भय से मुक्ति का मार्ग
ये देसी नुस्खा शरीर को बना देगा लोहे जैसा मजबूत, अपनाओ और महसूस करो जवानी जैसा जोश
शौच के लिए गई थी महिला लेकिन पीछे-पीछे आ गया देवर। जो देखा, उसे देखकर हो गया वहीं बेहोश